शुक्रवार, 5 मार्च 2010

जन्म- स्थली


मैंने जन्म लिया , पर्वतो की बीच घाटी में,
और आ गया तब मैदान की तलहटी में,
पड़ा लिखा नौकरी करने लगा,
रोटी मिलने लगी, घर भूलने लगा,
मैं ही क्या, सब भूल जाते हैं,
तब जबकि वह सितारों की दुनिया में बसने लगते हैं,
मैं भूल गया उस जन्मस्थली को, दुग्धपान कराने वाली जननी को,
भावाभिव्यक्ति से क्या मैं, लौट रहा हूँ,
या अनायास ही अपनी खामियों को व्यक्त कर रहा हूँ,
कुछ भी हो यह मेरा वर्चस्व है,
मुझे मालूम है की जन्मस्थली ही सर्वस्व है.

10 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई, स्वागत है--- मेरा ब्लोग---साहित्य श्याम--

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  2. मुझे मालूम है की जन्मस्थली ही सर्वस्व है.
    Bahut achha laga yah padhke!

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  3. शानदार रचना ।
    हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. nice work dad...
    finally..., after 25 years, you've published it.

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  5. dear Dad i wish you keep on writing....... waiting for new creation........

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  6. इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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