उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा,
                 मित्र अपनी सेहत का ध्यान रखो
मैं उनकी आत्मीयता और सहानुभूति से गदगद हो गया
                 फिर अगले ही दिन
मेरे उसी कंधे पर रख दी गयी
एक बन्दूक,
               जिसके घोड़े पर थी उनकी उँगलियाँ
और निशाने पर
वे सारे के सारे उपादान
जो मेरी सेहत के लिए काफी थे...............
मंगलवार, 9 मार्च 2010
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